Gautam Dharma Sutram (गौतम धर्मसूत्रम्)
₹625.00
Author | Dr. Narender Kumar |
Publisher | Vidyanidhi Prakashan, Delhi |
Language | Sanskrit Text With Hindi Translation |
Edition | 2020 |
ISBN | 81-86700773 |
Pages | 392 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VN0024 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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गौतम धर्मसूत्रम् (Gautam Dharma Sutram) “गौतम धर्मसूत्र का सरल अनुवाद आप सबको समर्पित करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। वैदिक वाङ्मय में धर्मसूत्रों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। गौतम द्वारा रचित इस धर्मसूत्र में वर्ण, आश्रम, संस्कार, दाय, दण्ड-व्यवस्था, कर ग्रहण आदि विषयों की विस्तार से चर्चा हुई है।
आज भी इस इन्सूत्र की उपादेयता विदित है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस ग्रन्थ के सूत्रों का सरल-स्पष्ट-सटीक भावबोधक अनुवाद करने का प्रयास किया गया है। धर्म के मर्म रहस्य को जान पाना मुझ अल्पग के लिए सम्भव नहीं। पुनरपि आचार्य-सिद्धान्तविद्, साधु-महात्मा और संन्यासियों की चरण में रहकर जो भी थोड़ा-बहुत पढ़ा है, उसी के आधार पर सूत्रों का अनुवाद करने की कोशिश की है। कुछ विषय जिनसे मैं सहमत नहीं हूँ, उन पर मैंने यथोचित स्थान पर टिप्पणियाँ दे दी हैं।
मांस भक्षण, दण्ड-व्यवस्था, प्रायश्चित्त और आचरणगत नियम आदि कुछ प्रसङ्ग ऐसे हैं जो मुझे असंगत लगे। अतः ऐसे नियमों से मेरा असहमत होना स्वाभाविक है क्योंकि सभी धर्मसूत्रों ने वेदों को धर्म का परम प्रमाण माना है। श्रुति, स्मृति एवं अन्य वेदों में कहीं विरोध हो, तो उसमें वेदों को ही प्रामाणिक मानना चाहिए, ऐसा
धर्मसूत्रकारों का मन्तव्य है- असंगत अंश प्रक्षिप्त हो सकते हैं।
इस पुस्तक में हरदत्त की मिताक्षरा टीका को ज्यों का त्यों रखा गया है। गौतम धर्मसूत्र की यह टीका परम प्रामाणिक मानी जाती है। यह ग्रन्थ कैसा बन पड़ा है, इसका मूल्यांकन आप महानुभाव ही कर सकते हैं। मेरे लिए परम सौभाग्य होगा, अगर आप मेरी त्रुटियों की ओर मेरा ध्यान आकर्षित करेंगे। इस ग्रन्थ को पूरा करने में पत्नी श्रीमती इन्दिरा गुप्ता का बहुत बड़ा हाथ है। अतः उनके प्रति मैं आभार प्रकट करता हूँ। मेरी बेटियाँ नीराजना गुप्ता एवं नीहारिका गुप्ता ने यथासम्भव सहयोग दिया। मैं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
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