Haritalika Vrat Katha (हरितालिका व्रत कथा) – 443
₹18.00
Author | Pt. Daulat Ram Gaud |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2006 |
ISBN | 443-542-2392543 |
Pages | 16 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0171 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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हरितालिका व्रत कथा (Haritalika Vrat Katha) भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरितालिका (तीज) व्रत की संज्ञा से विभूषित किया गया है। इस व्रत का महत्त्व आज से नहीं, अपितु प्राचीन समय से ही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस व्रत को विवाह से पूर्व करने से मनोवांछित पति की प्राप्ति निःसन्देह होती है तथा विवाहोपरान्त इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अखण्ड सौभाग्यवती होती हैं। तथा सभी प्रकार के सुख एवं ऐश्वर्यों को प्राप्त करती हैं। इस पुस्तक में पूजन-विधान व कथा सरल रूप से प्रस्तुत की गयी है, जिससे सभी इसका अनुसरण कर सकें।
व्रत करने वाले को चाहिए कि सूर्योदय के पहले उठकर भगवान् का स्मरण करे, फिर शौच, दन्तधावन, स्नान तथा सन्ध्या-वन्दन आदि से निवृत्त होकर जहाँ शिव-पार्वती का पूजन करना और कथा सुनना हो वहाँ शिव-पार्वती के पूजन के लिए केला, बन्दनवार आदि से सुसज्जित एक छोटा मण्डप बनावे, उसी में अपने बन्धु-बान्धवों के साथ बैठे और अपने आचार्य को आदर पूर्वक बुला कर उनके लिए एक उत्तम आसन बिछा दे। इसके बाद में कुश, जल आदि लेकर ‘ॐ अद्येत्यादि’ से ‘अहङ्करिष्ये’ तक का संकल्प वाक्य पढ़ कर संकल्प करे, फिर हाथ में अक्षत, फूल लेकर ‘मन्दारमाला’ इस मन्त्र से पार्वतीजी का ध्यान करे। ‘आगच्छ देवि’ तथा ‘राज्य-सौभाग्यदे’ आदि मन्त्रों से आचमन करावे। ‘मन्दाकिनी’ इससे पार्वती को पञ्चामृत से स्नान कराकर शुद्धोदक स्नान करावे। ‘वस्त्रयुग्मं’ इस मन्त्र से वस्त्र का जोड़ा चढ़ावे। ‘चन्दनेन’ इस मन्त्र से चन्दन लगावे। ‘रंजिते’ इस मन्त्र से अक्षत देवे। ‘माल्यादीनि’ इस मन्त्र से फूल-माला चढ़ावे। ‘चन्दनागरु’ इस मन्त्र से धूप देवे, ‘त्वं ज्योतिः’ इससे दीप दिखावे, ‘नैवेद्यं’ इससे नैवेद्य चढ़ावे। ‘इदं फलं’ इस मन्त्र से फल चढ़ावे। ‘पूगीफलं’ इससे पान, ‘सौभाग्यं’ इससे प्रार्थना करे।
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