Hindi Gyaneshwari (हिन्दी ज्ञानेश्वरी)
₹480.00
Author | Sant Gyaneshwar |
Publisher | Hindi Sahitya Kutir |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2024 |
ISBN | - |
Pages | 502 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0441 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
हिन्दी ज्ञानेश्वरी (Hindi Gyaneshwari) महाराष्ट्र सन्तोंकी मंडलीमें श्री ज्ञानेश्वर महाराजका स्थान कदाचित् सर्वोच्च और सबसे अधिक महत्त्वका है; और इसका कारण यह है कि वे महाराष्ट्र देश में भक्ति मार्गके आद्य प्रवर्तक और सारे महाराष्ट्रके धर्म-गुरु हैं। यद्यपि महाराष्ट्र देशमें एकनाथ, तुकाराम, रामदास आदि अनेक बहुत बड़े-बड़े महात्मा और सन्त हो गये हैं, परन्तु काल-क्रमके विचारसे भी और दूसरी अनेक दृष्टियोंसे भी सबसे अधिक महत्वका स्थान श्री ज्ञानेश्वर महाराजको ही प्राप्त है। महाराष्ट्र देश और मराठी भाषा पर जितने अधिक उपकार आपके हैं, उतने कदाचित् और किसीके नहीं हैं। आप बहुत ही उच्च कोटिके तत्वज्ञानी, परम ईश्वर-भक्त, पूर्ण योगी और अद्भुत लेखक थे। यद्यपि आपको हुए साढ़े छः सौ वर्ष से अधिक हो गये, परन्तु इस दीर्घ कालमें आपका यश और ख्याति बराबर दिन पर दिन बढ़ती ही गई है और अब भी बराबर बढ़ती ही जा रही है।
नेवासें नामक गाँवमें, जहाँ बैठकर श्री ज्ञानेश्वर महाराजने गीताकी यह ज्ञानेश्वरी टीका लिखी थी बहुत धूम-धाम और बड़े उत्साहसे ज्ञानदेव-महोत्सव हुआ था। इस उत्सवमें अनेक प्रसिद्ध विद्वान और हरि-भक्त एकत्र हुए थे। इसी अवसर पर “श्री ज्ञानेश्वर-दर्शन” नामका कोई १६०० पृष्ठोंका एक बहुत सुन्दर ग्रन्थ भी प्रकाशित किया गया था जिसमें श्री ज्ञानेश्वर महाराज और उनके सिद्धान्तों आदिके सम्बन्धमें अनेक बड़े-बड़े विद्वानों और विचारशीलोंके पांडित्यपूर्ण लेख और निबन्ध आदि संगृहीत हैं। और उन लेखकोंमें केवल हरि-भक्तोंके ही नहीं बल्कि पाश्चात्य विद्याओंके अनेक बड़े-बड़े विद्वानोंके भी बहुतसे लेख आदि हैं। और यह इस बातका सूचक है कि आजकलके इस बिगड़े हुए और केवल धन तथा स्वार्थ पर दृष्टि रखनेवाले जमानेमें भी श्री ज्ञानेश्वर महाराजकी कीर्ति बराबर बढ़ती ही जा रही है।
Reviews
There are no reviews yet.