Jain Dharma Darshan (जैन धर्म दर्शन एक समीक्षात्मक परिचय)
₹185.00
Author | Dr. Mohanlal Mehta |
Publisher | Parshawanath Vidyapeeth, Varanasi |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 642 |
Cover | Hard Cover |
Size | 12 x 3 x 18 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | PV00019 |
Other | Dispatched in 3 days |
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जैन धर्म दर्शन एक समीक्षात्मक परिचय (Jain Dharma Darshan) प्रस्तुत ग्रन्थ में भारतीय धर्म-दर्शन के एक महत्त्वपूर्ण अंग जैन धर्म- दर्शन का प्रामाणिक परिचय दिया गया है। इसे जैन धर्म-दर्शन का एक प्रतिनिधि ग्रन्थ कहा जाय तो अत्युक्ति न होगी। विश्वास है कि हिन्दी साहित्य में इस कृति को समुचित स्थान प्राप्त होगा तथा जैन धर्म एवं दर्शन के ज्ञानार्जन में यह ग्रन्थ उल्लेखनीय योगदान करेगा। इससे पूर्व प्रकाशित इसके दो संस्करण राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हो चुके हैं।
प्रस्तुत पुस्तक सात अध्यायों में विभक्त है। प्रथम अध्याय में जैन परम्परा का ऐतिहासिक परिचय दिया गया है। द्वितीय अध्याय में जैन धर्म एवं दर्शन से सम्बद्ध साहित्य की संक्षिप्त रूपरेखा है। तृतीय अध्याय में जैन दर्शनाभिमत तत्त्वव्यवस्था का प्रतिपादन किया गया है। चतुर्थ अध्याय में जैन ज्ञानवाद एवं प्रमाणशास्त्र की मीमांसा की गई है। पंचम अध्याय सापेक्षवाद अर्थात् स्याद्वाद – अनेकान्तवाद से सम्बद्ध है। षष्ठ अध्याय में जैन कर्मसिद्धान्त का विस्तृत विवेचन है। सप्तम अध्याय में जैनाचार अर्थात् श्रमणाचार तथा श्रावकाचार का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इस प्रकार जैन धर्म-दर्शन के समस्त महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रस्तुत पुस्तक में पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। यथास्थान स्वतन्त्र समीक्षा भी की गई है। अन्त में परिशिष्ट है जिसमें अपने अन्यत्र प्रकाशित जैन कला एवं स्थापत्य, श्रमण संघ, हिंसा-अहिंसा का जैन दर्शन, अकलंकदेव की दार्शनिक कृतियां, हेमचन्द्राचार्य की साहित्य-साधना तथा महावीर ब्राह्मण थे, क्षत्रिय नहीं इन छ : महत्त्वपूर्ण लेखों का समावेश है। विश्वास है कि यह ग्रन्थ धर्म-दर्शन के जिज्ञासु पाठकों, विद्वज्जनों एवं विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों सबके लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।
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