Kavach Kunj (कवच-कुञ्ज)
₹170.00
Author | Dr. Ramamilan Mishra |
Publisher | Shree Vedang Sansthan Prayagraj |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 1st Edition |
ISBN | 978-81-935160-2-7 |
Pages | 336 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVS0005 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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कवच-कुञ्ज (Kavach Kunj) देवताओं के पञ्च विघ आराधना के क्रम में कवच का महत्वपूर्ण स्थान है। उपास्यदेव के कवच पाठ द्वारा साधक को पहले अपने अङ्ग प्रत्यङ्गों की सुरक्षा कर लेनी चाहिए, तदुपरान्त ही मंत्रादि का प्रयोग करे ऐसा न करने से मंत्रादि जप की फल प्राप्ति संदिग्ध रहती है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को गर्भ तथा जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त अनेक प्रकार की बाधाओं की संभावना रहती है यथा- गर्भनाश, बालारिष्ट, रोगभय, शत्रुभय, दैवीय प्रकोप, भूतप्रेत पिशाचादि बाधा, ग्रह बाधा, दुर्घटना या अपमृत्यु भय यहाँ तक कि पग पग पर इस जीवन में बाधाएं ही दृष्टिगत होती हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि इन सब विपत्तियों से आत्मरक्षा कैसे हो? इसके पश्चात् बन्धु बान्धव, सुहृद्, परिजन, भूमि, भवन, वाहन, सम्पत्ति इत्यादि की रक्षा का भी दायित्व होता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति की सर्वविध रक्षा हेतु हमारे ऋषि प्रणीत शास्त्रों, पुराणों एवं तंत्र ग्रन्थों में अनेक देवी देवताओं के ‘कवच’ प्राप्त होते हैं जिनके नियमित पाठ से व्यक्ति सभी प्रकार के भयों से मुक्त होकर निर्भीक एवं शांतिमय जीवन व्यतीत कर सकता है ‘कवच’ सर्वविध रक्षार्थ अमोघ एवं वज्र कवच के सदृश ही हैं, अतः इनका प्रयोग करके अवश्य स्वात्म रक्षा का उपक्रम किया जा सकता है।
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