Maha Mrityunjay Anusthan Paddhati (महामृत्युञ्जय अनुष्ठान पद्धति)
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Author | Dr. Ramamilan Mishra |
Publisher | Shree Vedang Sansthan Prayagraj |
Language | Sanskrit |
Edition | 2019 |
ISBN | 978-81-935160-9-6 |
Pages | 408 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVS0004 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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महामृत्युञ्जय अनुष्ठान पद्धति (Maha Mrityunjay Anusthan Paddhati) महामृत्युञ्जय मंत्र जप का अनुष्ठान लोग प्रतिवर्ष स्वान्तः सुखाय पारिवारिक, शारीरिक, व्यावसायिक, सामाजिक रक्षा के लिए भी करते हैं, जिसके प्रभाव से सर्वदा खुशहाली रहती है और परिवार में किसी प्रकार की अनहोनी नहीं होती। शारीरिक रक्षा का इससे उत्तम कोई साधन नहीं है।
अधिकारी / पात्र- महामृत्युञ्जय मंत्र अनुष्ठान के पुरुष द्विजाति (ब्राह्मण क्षत्रिय एवं वैश्य) ही अधिकारी हैं स्त्री और शूद्र को इसका जप नहीं करना चाहिए क्योंकि ‘स्त्रीशूद्रौ वेदं नाधीयताम् । अत: स्त्री शूद्र के लिए पौराणिक व तांत्रिक महामृत्युञ्जय मंत्र भी इस ग्रन्थ में दिये गये हैं, जिनका जप करके स्त्री तथा शूद्र भी उक्त लाभ प्राप्त कर सकेंगे। विशेषतः जो ब्राह्मण वैदिक हों और इसका पुरश्चरण किये हों उन्हीं से इसका अनुष्ठान सम्पन्न कराना चाहिए अन्यथा मंत्र का पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता।
प्रस्तुत महामृत्युञ्जय अनुष्ठान पद्धति को सर्वग्राह्य बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें महामृत्युञ्जय मन्त्र के सभी प्रकार, जप विधि, पूजन विधि, सहस्त्रार्चन विधि, पार्थिव पूजन विधि, रुद्राभिषेक विधि तथा सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्यायी के साथ-साथ महामृत्युञ्जय एवं भगवान शिव के विविध स्तोत्रों का समावेश किया गया है, जिससे महामृत्युञ्जय के किसी भी प्रकार के अनुष्ठान में अन्य किसी ग्रंथ की आवश्यकता न पड़े। महामृत्युञ्जयानुष्ठान पद्धति में महामृत्युञ्जय सहस्रनाम स्तोत्र को भी समाहित किया गया है क्योंकि इसके पाठ से भी तद्वत् फल प्राप्त कर सकें।
महामृत्युञ्जय सहस्त्रनामावली उपलब्ध नहीं थी। अतः इस ग्रंथ में महामृत्युञ्जय सहस्त्रनामस्तोत्र के द्वारा नामावली के रूप में रूपान्तरण में सहयोगार्थ गुरुवर्य डॉ० बाबूलाल मिश्र जी एवं आदरणीय डॉ० पवन कुमार शुक्ल जी का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। ग्रंथ के टंकण में श्री विनोद द्विवेदी जी का तथा पुस्तक को स्वरूप प्रदान करने में श्री ब्रह्मानन्द मिश्र जी का सहयोग अविस्मरणीय रहेगा, तदर्थ साधुवाद। इसके शुद्धतम् प्रकाशन का ध्यान दिया गया है अतः यह अवश्य ही अनुष्ठान में संलग्न ब्राह्मणों के लिए तथा शिवभक्तसाधकों के लिए सुग्राह्य होगी, तथापि विद्वज्जन से निवेदन है कि इसमें यदि किसी प्रकार के सुधार की आवश्यकता की अनुभूति हो तो कृपा करके अवश्य सूचित करेंगे। इसी निवेदन के साथ यह पद्धति निवेदित की जा रही है।
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