Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-15%

Kiratarjuniyam 1 Sarg (किरातार्जुनीयम् प्रथम सर्ग:)

128.00

Author Om Namo Narayan Upadhyay
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2019
ISBN -
Pages 205
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0023
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

किरातार्जुनीयम् प्रथम सर्ग: (Kiratarjuniyam 1 Sarg) किरातार्जुनीयम् महाकाव्य का कथानक मूलतः महाभारत के वनपर्व से लिया गया है। अत्यन्त अल्पकथा को महाकवि भारवि ने अपनी कल्पना तथा वर्णन-प्रतिभा से अत्यन्त विस्तृत कर दिया है। इसका विस्तार १८ सर्गो तथा १०४० श्लोकों तक किया गया है। प्रथम सर्ग का कथानक कुल ४६ श्लोक में वर्णित हैं, ४४ वें श्लोक तक वंशस्थ छन्द, ४५ वाँ पुष्पिताग्रा छन्द तथा ४६ वाँ श्लोक मालिनी छन्द में है।

प्रथम सर्ग के कथानक का प्रारम्भ युधिष्ठिर द्वारा भेजे गये गुप्तचर के दुर्योधन के राज्य का समस्त वृत्तान्त तथा प्रजाविषयक व्यवहार को जानकर युधिष्ठिर के बताने से प्रारम्भ होता है। भाईयों एवं द्रौपदी के साथ द्वैतवन में निवास कर रहे युधिष्ठिर शत्रु के सामर्थ्य को जानने के लिए जिस ब्रह्मचारी वेशधारी गुप्तचर को भेजा था, वह राज्य का समस्त वृत्तान्त को ज्ञात कर द्वैतवन में लौट आता है। प्रणाम करने के उपरान्त वनेचर शत्रुओं द्वारा जीती गयी पृथ्वी का समाचार निःशंक भाव से कहता है क्योंकि वह युधिष्ठिर का सच्चे अर्थों में शुभचिन्तक है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kiratarjuniyam 1 Sarg (किरातार्जुनीयम् प्रथम सर्ग:)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×