Sampurna Panchak Shanti Prayog Vidhi (सम्पूर्ण पञ्चकशान्ति प्रयोग विधिः)
₹38.00
Author | Dr. Devnarayan Sharma |
Publisher | Shri Kashi Vishwanath Sansthan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 978-93-92989-46-9 |
Pages | 64 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0450 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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सम्पूर्ण पञ्चकशान्ति प्रयोग विधिः (Panchak Shanti Prayog Vidhi) धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्द्ध, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती इन पाँच नक्षत्रों को पञ्चक कहा गया है। इन पाँच नक्षत्रों में मृत्यु होने पर दोषनिवृत्ति हेतु शान्ति करने का विधान है, जिसे पञ्चकशान्ति कहते हैं। धर्मसिन्धु तथा निर्णयसिन्धु के आधार पर यह विशेष बात कही गई है कि यदि मृत्यु पञ्चक के पूर्व हो और दाहसंस्कार पञ्चक में किया जा रहा हो तो केवल पुत्तलदाह से दोषनिवृत्ति हो जाती है। उसमें शान्ति कर्म करने की आवश्यकता नहीं रहती। इसी प्रकार यदि मृत्यु पञ्चक में हुई हो तथा दाहक्रिया पञ्चक के बाद हो रही हो तब भी केवल पुत्तलदाह से दोष-निवृत्ति हो जाती है। इसके विपरीत यदि मृत्यु पञ्चक में हुई हो तथा दाहसंस्कार भी पञ्चक में ही किया जा रहा है तो इसमें पुत्तलदाह तथा पञ्चकशान्ति विधान दोनों ही कर्म आवश्यक है। अन्यथा वर्ष के भीतर घर में पाँच मृत्यु के होने की आशङ्का बनी रहती है। यहाँ पुत्तलविधि, दाहसंस्कार तथा पञ्चकशान्ति तीनों का वर्णन किया जा रहा है।
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