Praudha Rachnanuvad Kaumudi (प्रौढ रचनानुवादकौमुदी)
₹255.00
Author | Dr. Kapil Dev Diwvedi |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-93-5146-108-1 |
Pages | 440 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0149 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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प्रौढ रचनानुवादकौमुदी (Praudha Rachnanuvad Kaumudi) डॉ० कपिलदेव द्विवेदी ने प्रौढ रचनानुवादकौमुदी का निर्माण करके उस काम की पूर्ति की है जो रचनानुवादकौमुदी से आरम्भ हुआ था। मैं स्वयं संस्कृत व्याकरण और साहित्य का इतना ज्ञान नहीं रखता कि पुस्तक के गुण-दोषों की यथार्थ समीक्षा कर सकूँ। परन्तु उसका स्वरूप ऐसा है जिससे मुझको यह प्रतीत होता है कि वह उन लोगों को निश्चय ही उपयोगी प्रतीत होगी जिनके लिए उसकी रचना हुई है। मैं संस्कृत ग्रन्थों को पढ़ता रहता हूँ। कभी-कभी संस्कृत में कुछ लिखने का भी प्रयास करता हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि इस पुस्तक से मेरे जैसे व्यक्ति को सहायता मिलेगी और कई भद्दी भूलों से त्राण हो जायेगा। यों तो संस्कृत के प्रामाणिक व्याकरणों का स्थान दूसरी पुस्तकें नहीं ले सकतीं, फिर भी जिन लोगों को किन्हीं कारणों से उनके अध्ययन का अवसर नहीं मिला है, उनके लिए प्रौढ रचनानुवादकौमुदी जैसी पुस्तकें वस्तुतः बहुमूल्य हैं।
पुस्तक की विशेषताएँ
(१) इंग्लिश, जर्मन, फ्रेंच और रूसी भाषाओं में अपनायी गयी नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति इस पुस्तक में अपनायी गयी है।
(२) प्रौढ संस्कृत-ज्ञान के लिए उपयुक्त समस्त व्याकरण अनुवाद और प्रौढ वाक्य-रचना के द्वारा अति सरल और सुबोध रूप में समझाया गया है।
(३) केवल ६० अभ्यासों में ३०० नियमों के द्वारा समस्त आवश्यक व्याकरण समाप्त किया गया है। नियमों के साथ पाणिनि के सूत्र भी दिए गए हैं।
(४) ४८ वर्गों और १२ विशिष्ट शब्द-संग्रहों के द्वारा सभी उपयोगी और आवश्यक शब्दों का संग्रह किया गया है। प्रत्येक अभ्यास में २५ नए शब्द हैं। १५०० उपयोगी शब्दों और धातुओं का प्रयोग सिखाया गया है।
(५) लगभग एक सहस्र संस्कृत की लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग अनुवाद के द्वारा सिखाया गया है।
(६) परिशिष्ट में लगभग १५०० सुभाषितों की ‘सुभाषित-मुक्तावली’ विभिन्न ८८ विषयों पर अकारादि-क्रम से दी गयी है।
(७) संस्कृत साहित्य के उच्च कोटि के अन्य ग्रन्थों से अनुवादार्थ सन्दर्भों का संचयन किया गया है। इनके लिए उपयुक्त संकेत भी दिए गए हैं।
(८) सभी प्रचलित शब्दों के रूपों का संग्रह किया गया है।
(९) १०० विशेष प्रचलित धातुओं के दसों लकारों के रूपों का संकलन ‘धातुरूप-संग्रह’ में किया गया है। ‘धातुरूप-कोष’ में अत्युपयोगी ४६५ धातुओं के दसों लकारों के प्रारम्भिक रूप दिए गए हैं। साथ में उनके अर्थ, गण और पद का भी निर्देश है। धातुएँ अकारादि-क्रम से दी गयी हैं।
(१०) सभी उपयोगी व्याकरण की बातों का संग्रह किया गया है। जैसे सन्धि- विचार, कारक-विचार, समास विचार, क्रिया-विचार, कृत्प्रत्यय-विचार, तद्धित-प्रत्यय- विचार, स्त्री-प्रत्यय-विचार आदि।
(११) व्याकरण-ज्ञान के लिए अनिवार्य १३५ पारिभाषिक शब्दों का एक ‘पारिभाषिक शब्दकोश’ अकारादि-क्रम से परिशिष्ट में दिया गया है।
(१२) अत्युपयोगी २० विषयों पर प्रौढ संस्कृत में निबन्ध दिए गए हैं।
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