Sahitya Darpan (साहित्यदर्पणः)
₹722.00
Author | Aachary Lokmani Dahalah |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-93-83721-02-3 |
Pages | 1290 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0697 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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साहित्यदर्पणः (Sahitya Darpan) ‘साहित्यदर्पण’ सकलांगनिरूपक, काव्य-शास्त्रीय ग्रन्थ है, जिसमें सभी काव्यीय तत्त्वों का सुबोध शैली में सविस्तर विवेचन किया गया है। इसमें काव्य की, तत्कालीन प्रचलित सभी विधाओं के अतिरिक्त नाकट (दृश्यकाव्य के सभी प्रकारों) का भी पुंखानुपुंख विवेचन हुआ है। इसमें रीति ग्रन्थों में वर्णित प्रायः सभी विषयों का समावेश किया गया है जो काव्य की रचना एवं आलोचना के लिए अपरिहार्य हैं। नायक-नायिकाओं की प्रमिल चेष्टाओं के अतिरिक्त रति क्रीड़ा की विविध भाव-भंगिमाओं का भी इसमें वर्णन किया गया है। इस दृष्टि से यह ग्रन्थ सम्पूर्ण काव्यशास्त्रीय परम्परा में अकेला है। विश्वनाथ कविराज ने काव्यशास्त्र के जटिल एवं दुरूह तत्त्वों का अत्यन्त स्पष्ट स्वरूप अंकित कर इसमें साहित्यालोचन के सभी आवश्यक तत्त्वों को सत्रिविष्ट किया है। एक ही ग्रन्थ में श्रव्य एवं दृश्यकाव्य के सभी भेद-प्रभेदों के अतिरिक्त काव्यांगों का अत्यन्त प्रामाणिक विवेचन इसकी महार्घता सर्वजन-सुलभता द्योतक है।
इसकी विशेषता शैली की बोधगम्यता, प्रांजलता तथा विषय की व्यापकता में निहित है। साहित्यदर्पण की रचना दस परिच्छेदों में हुई है। लेखक ने प्राचीन प्रस्थान-ग्रन्थों का अनुकरण कर इसके तीन विभाग किये-कारिका, वृत्ति एवं उदाहरण। सम्बद्ध विषयों का लक्षण प्रस्तुत कर वृत्ति में उनके स्वरूप का स्पष्टीकरण किया गया है। प्रसिद्ध ग्रन्थों से उदाहरण देकर शास्त्रीय विषयों को स्पष्ट किया गया है। प्रस्तुत संस्करण में विद्वान लेखकगणों ने संस्कृत एवं हिन्दीभाषा में दूरूह एवं विवादास्पद विषयों की समस्या पर शास्त्रीय ढंग से विस्तृत विवेचना करके साहित्यदर्पण को और उपयोगी एवं पूर्ण बनाने का प्रयास किया है।
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