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Sandhyopasan, Tarpan Evam Balivaishvadev Vidhi (संध्योपासन, तर्पण एवं बलिवैश्वदेवविधिः)

38.00

Author Dr. Devnarayan Sharma
Publisher Shri Kashi Vishwanath Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2024
ISBN 978-93-92989-57-5
Pages 40
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0454
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Description

संध्योपासन, तर्पण एवं बलिवैश्वदेवविधिः (Sandhyopasan Tarpan Evam Balivaishvadev Vidhi) स्नान, सन्ध्या, , जप, देवपूजा, बलिवैश्वदेव और अतिथिपूजा ये छः नित्यकर्म माने गये हैं। सन्ध्या न करने से जैसे प्रत्यवाय (पाप) लगता। है, वैसे ही बलिवैश्वदेव न करने पर भी प्रत्यवाय लगता है। गृहस्थ जीवन में कई ऐसे कार्य हैं, जहाँ ज्ञाताज्ञात रूप में जीव हिंसा की सम्भावना बनी रहती है, जैसे चूल्हे में आग जलाना, कूटना, पीसना, झाडू लगाना आदि । इन कार्यों में जीवहिंसाजन्य प्रत्यवाय से मुक्ति के लिए ही ब्रह्मयज्ञ-वेद-वेदाङ्गादि तथा पुराणादि आर्ष ग्रन्थों का स्वाध्याय, पितृयज्ञ श्राद्ध तथा तर्पण, देवयज्ञ-देवताओं का पूजन तथा हवन, भूतयज्ञ-बलिवैश्वदेव तथा पञ्चबलि, मनुष्ययज्ञ-अतिथि सत्कार, इन पाँचों यज्ञों को प्रतिदिन करना चाहिए। प्रस्तुत पुस्तक में सन्ध्योपासना, देवर्षिपितृतर्पण तथा बलिवैश्वदेव इन तीनों विधियों का एकत्र समावेश किया गया है, ताकि द्विजगण इन क्रियाओं को सरलतापूर्वक सम्पन्न कर सकें।

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