Sanskrit Sahitya Ka Pramanik Itihas (संस्कृत-साहित्य का प्रामाणिक इतिहास)
₹212.00
Author | Dr. Ramasankar Tripathi |
Publisher | Chaukhambha Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2017 |
ISBN | - |
Pages | 517 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0630 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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संस्कृत साहित्य का प्रामाणिक इतिहास (Sanskrit Sahitya Ka Pramanik Itihas) राधा-कृष्ण का यह परम अनुग्रह है कि ‘संस्कृत-साहित्य का प्रामाणिक इतिहास” अल्प काल में ही ऐतिह्मविदों, आलोचकों एवं विद्वानों का कण्ठाभरण बन गया। प्रतियोगी-पीक्षाओं में संलग्न छात्रों के लिये तो यह ग्रन्थ परम उपकारक सिद्ध हुआ है। विद्वानों की मान्यता है कि ‘संस्कृत-साहित्य के अतीत की परतों को उद्घाटित करने में यह ग्रन्थ बेजोड़ है, अनुपम है। इसकी बहुत-सी नवीन मान्यताएँ हृदय-ग्राह्य, तर्कपूर्ण एवम् अखण्डनीय हैं।’ खैर, जैसी प्रभु-कृपा।
पर्याप्त नवीन सामग्री से सज-धज कर तैयार ‘संस्कृत साहित्य का प्रामाणिक इतिहास’ का यह द्वितीय संस्करण अपनी सेवा प्रस्तुत करने के लिये विद्वानों के साभने सादर प्रस्तुत है। प्रथम संस्करण की अपेक्षा इसमें प्रभूत नवीन तथ्यों का उद्घाटन किया गया है। इसे कविता-कामिनी-विलास कविवर कालिदास के सभी मान्य सातों ग्रन्थों के सन्दर्भ में सरलता से देखा जा सकता है। यदि विद्वद्वर्ग में इसे सस्नेह आशीष प्रदान किया तो मैं अपना सौभाग्य समझेंगा। अन्त में राधा-कृष्ण की सेवा में इस संस्करण-पुष्प को श्रद्धा के साथ समर्पित करते हुए मुझे परम प्रशन्नता की अनुभूति हो रही है।
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