Shivraj Vijay (शिवराजविजयः प्रथमो निश्वासः)
₹81.00
Author | Prof Om Prakash Panday |
Publisher | Chaukhambha Krishnadas Academy |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2021 |
ISBN | 978-81-7080-536-6 |
Pages | 68 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0644 |
Other | शिवराजविजयः (प्रथमो निश्वासः) |
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शिवराजविजयः (Shivraj Vijay) १९वीं शती के उत्तरार्द्ध में आविर्भूत साहित्याचार्य पं० अम्बिकादत्त व्यास की ख्याति सामान्यतः एक यशोधर कवि, समर्थ साहित्यकार, नाट्यशिल्पी, कुशल सम्पादक एवं प्रखर पत्रकार के रूप में है। अपने समय में उनकी गणना उत्कट देशभक्त, समाज सुधारक और ओजस्वी वाग्मी के रूप में भी होती रही।
उनकी लेखिनी जिस युग में सरस्वती के भण्डार को समृद्ध करने में प्रवृत्त हुई, वह बड़ी उथल-पुथल का था। उस समय आवश्यकता थी समाज को स्वत्व के साक्षात्कार हेतु जाग्रत करने की, उसे वीरता, साहस और शक्ति से सम्पन्न करने की। उन्होंने इसके लिए मुगलकाल के सर्वाधिक अत्याचारी शासक औरंगजेब के उत्पीडक तन्त्र को सशस्त्र चुनौती देते हुए हिन्दू पद पादशाही की स्थापना करने वाले वीराग्रगण्य छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रेरक चरित्र को समाज के समाने रोचक ढंग से प्रस्तुत करने का स्तुत्य प्रयत्न किया।
‘शिवराजविजय’ आधुनिक औपन्यासिक शिल्प में निबद्ध गद्य रचना है। इस दृष्टि से भी व्यास जी का कृतित्व उत्कर्ष के शिखर पर आरूढ़ है कि उसके माध्यम से संस्कृत-वाङ्मय में उपन्यास की आधुनिक पद्धति प्रचलित और प्रतिष्ठित हुई है। आज संस्कृत में उपन्यास लेखन का क्रम तेजी से चल रहा है, लेकिन यह भी सत्य है कि इसका नये ढंग से सूत्रपात व्यास जी ने ही किया। ‘शिवराजविजय’ इतिहास की सुदृढ़ शिला पर प्रतिष्ठित है, लेकिन उसके भावबोध, चरित्र-चित्रण, संवाद-सौष्ठव, कथा-निर्वाह में आधुनिकता का समावेश है।
संस्कृत में ‘कथा’ और ‘आख्यायिका’ तो थी, लेकिन ‘शिवराजविजय’ जैसी सरस, ओज और तेज से सम्पन्न रचनाओं का अभाव ही था। महाभारत का ‘विदुलोपाख्यान’ अवश्य इसका अपवाद है। ‘किरातार्जुनीय’ में भी पुरुषार्थ की प्रतिष्ठा है, लेकिन आगे यह क्रम विशृङ्खलित-सा हो गया। ‘शिवराजविजय’ की भाषा, वाक्य-रचना और शब्द भण्डार संस्कृतच्छात्रों के भाषा नैपुण्य का अभिवर्धन करने में भी सहायक है। इसीलिए यह कृति अनेक स्तरों पर पाठ्यक्रम में भी समाविष्ट है। इसकी व्याख्या डॉ. प्रज्ञा ने बड़े परिश्रम से तैयार की है। आशा है, छात्रों के लिये अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।
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