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Sadukti Karnamritam Set of 3 Vols. (सदुक्तिकर्णामृतम् 3 भागो में)

1,657.00

Author Prof. Om Prakash Panday
Publisher Chaukhambha Sanskrit Series Office
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2005
ISBN 978-81-7080-251-2
Pages 950
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0643
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Description

सदुक्तिकर्णामृतम् 3 भागो में (Sadukti Karnamritam Set of 3 Vols.) प्रबन्ध काव्यों के साथ, संस्कृत साहित्य में मुक्तक कविताओं की रचना भी पुष्कल परिमाण में हुई है। यद्यपि अद्यावधि, अनवरत रूप से, सोत्साह, संस्कृत में महाकाव्यों का प्रणयन हो रहा है, किन्तु इस प्रवृत्ति का स्वर्णयुग, निश्चित रूप से, महाकवि श्रीहर्ष-प्रणीत ‘नैषधीयचरितम्’ से पूर्णता प्राप्त कर चुका था।

मुक्तक-युग- इसके अनन्तर, ७वीं-८वीं शती ई. से मुक्तकों का युग प्रारम्भ हो जाता है। अमरुक और उनके सहधर्मा अन्य ज्ञात-अज्ञात सैकड़ों मुक्तककारों ने इतने सरस, हृह्य और ललित मुक्तकों की रचना की, कि उससे साहित्य-संसार में युगान्तर ही हो गया। आचार्यों के मन में मुक्तकविषयिणी अवधारणा बहुत ऊपर उठ गई। यह विश्वास हिल गया कि केवल भारी-भरकम महाकाव्यों की रचना कर के ही किसी कवि को विशिष्ट यश की प्राप्ति हो सकती है। ‘अग्निपुराण’ में यह निःसंकोच उदघोषित किया गया कि मुक्तक के रूप में प्रणीत एक सुन्दर श्लोक ही सहृदयों को चामत्कारिक रूप से आनन्दविस्वल करने में समर्थ है- ‘मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्’ (३३७-३६)। नवमी शताब्दी के आचार्य आनन्दवर्धन ने, इससे भी आगे बढ़कर, अमरुक के एक-एक रसनिःष्यन्दी मुक्तक को एक-एक प्रबन्धकाव्य के समकक्ष घोषित कर दिया-‘अमरुकस्य कवेर्मुक्तकाः श्रृङ्गारसस्यन्दिनः प्रबन्धायमानाः प्रसिद्धा एव।’ ध्वनिकार की यह घोषणा, मुक्तकों के इतिहास में आगे, मील का पत्थर सिद्ध हुई। किन्तु, मुक्तकों को इस गौरव के प्राप्त होने के पश्चात् भी उतना प्रचार न मिल सका, जिसके वे आस्पद थे। इसका कारण था मुक्तककार कवियों का बाहुल्य- ‘मुक्तके कवयो ऽनन्ताः।’ नगरों से सुदूर गाँवों तक फैले इन बहुसंख्यक कवियों की रचनाओं का प्रचार-प्रसार निश्चित ही एक बड़ी समस्या थी, जिसके समाधान के जिए विभिन्न सुभाषित-संग्रहों के संकलनकर्ता उत्साहपूर्वक आगे आये। उन्होंने निष्ठापूर्वक इन प्रकीर्ण कवियों की रचनाओं को सुनियोजित ढंग से संपादित करके अपने सुभाषित-संग्रहों में स्थान दिया और उनके प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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