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Shri Dasharani Ki Vrat Katha (श्री दशारानी की व्रत कथा)

25.00

Author Shri Ram Ji Sharma
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 63
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0033
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Description

श्री दशारानी की व्रत कथा (Shri Dasharani Ki Vrat Katha) हमारे महर्षियों ने अपने अनुभवों से यह सिद्ध किया है कि जब मनुष्य की दशा अनुकूल होती है, तभी उसका कल्याण होता है, जब दशा प्रतिकूल होती है तो अच्छा काम करने से भी बुरा फल प्राप्त होता है। इसी शुभ दशा की प्राप्ति के लिये ही हमारे देश की स्त्रियाँ व्रत और पूजन करती हैं तथा उसके प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए कथा (कहानी) भी कहती हैं।

जब तुलसी के पौधों में, वे जहाँ उगे हों वहीं उनमें बाल निकलें, कलोरी गाय बछड़ा जने, पहलौठी घोड़ी के बछेरा हो या स्त्री के प्रथम गर्भ से बालक उत्पन्न हो तब इन बातों का समाचार पाकर दशामाता के व्रत का संकल्प किया जाता है। किन्तु यह शर्त आवश्यक है कि बच्चे पैदा हुए हों, अच्छी घड़ी में हुए हों। ऐसी ही स्थिति में दशामाता का डोरा लिया जाता है। डोरे को गण्डा भी कहते हैं।

नौ सूत कच्चे धागे के और एक सूत व्रती के अंचल का- इस प्रकार दस सूत का एक डोरा बनाकर उसमें गांठ लगाई जाती है। दिन-भर व्रत रखने के बाद शाम को गण्डे की पूजा होती है। नौ दिनों के व्रत तक तो शाम को पूजा होती है, परन्तु दसवें दिन के व्रत में दोपहर के पूर्व ही पूजा होती है।

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