Shrimad Bhagwadgita Yathartha Geeta (श्रीमद भगवदगीता यथार्थगीता)
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Author | Shri Swami Adgadanand Ji |
Publisher | Shri Swami Paramhans Swami Adgadanandji Ashram Trust |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 480 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 3 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | DSBV0031 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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श्रीमद भगवदगीता यथार्थ गीता (Shrimad Bhagwadgita Yathartha Geeta) विश्व में प्रचलित सम्पूर्ण धार्मिक विचारों के आदि उद्गम स्थल भारत के समस्त अध्यात्म और आत्मस्थिति दिलानेवाले सम्पूर्ण शोध के साधन-क्रम का स्पष्ट वर्णन इस गीता में है, जिसमें ईश्वर एक, पाने की क्रिया एक, पथ में अनुकम्पा एक तथा परिणाम एक है – वह है प्रभु का दर्शन, भगवत्स्वरूप की प्राप्ति और काल से अतीत अनन्त जीवन। देखें – ‘यथार्थ गीता’।
श्रीकृष्ण जिस स्तर की बात करते हैं, क्रमशः चलकर उसी स्तर पर खड़ा होनेवाला कोई महापुरुष ही अक्षरशः बता सकेगा कि श्रीकृष्ण ने जिस समय गीता का उपदेश दिया था, उस समय उनके मनोगत भाव क्या थे? मनोगत समस्त भाव कहने में नहीं आते। कुछ तो कहने में आ पाते हैं, कुछ भाव-भंगिमा से व्यक्त होते हैं और शेष पर्याप्त क्रियात्मक हैं – जिन्हें कोई पथिक चलकर ही जान सकता है। जिस स्तर पर श्रीकृष्ण थे, क्रमशः चलकर उसी अवस्था को प्राप्त महापुरुष ही जानता है कि गीता क्या कहती है। वह गीता की पंक्तियाँ ही नहीं दुहराता, बल्कि उनके भावों को भी दर्शा देता है; क्योंकि जो दृश्य श्रीकृष्ण के सामने था, वही उस वर्तमान महापुरुष के समक्ष भी है। इसलिये वह देखता है, दिखा देगा; आपमें जागृत भी कर देगा, उस पथ पर चला भी देगा।
‘पूज्य श्री परमहंस जी महाराज’ भी उसी स्तर के महापुरुष थे। उनकी वाणी तथा अन्तः प्रेरणा से मुझे गीता का जो अर्थ मिला, उसी का संकलन ‘यथार्थ गीता’ है।
Tara mishra –
geeta is always a motivation.
Book printing 5 star
book binding 5 star.