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Shrimad Bhagwat Katha Set of 2 Vols. (श्रीमदभागवत कथा साप्ताहिक 2 भागो में)

391.00

Author Shri Ram Murti Shastri
Publisher Dinkar Shastri
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2022
ISBN -
Pages 958
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0144
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Description

श्रीमदभागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय के इने-गिने उज्ज्वलतम रत्नों में अन्यतम है। इसे भक्ति, ज्ञान और वैराग्यं का उत्स कहा जाय तो अत्युक्ति न होगी। पाप-ताप और दुःख दारिद्र्य की निवृत्ति के लिए इसके श्रवण और पारायण की परम्परा चिरकाल से चली आ रही है। भारतीय आस्तिक जनता के हृदय में सर्वश्रेष्ठ पुराण के रूप में ही नहीं साक्षात् भगव‌द्विग्रह के रूप में इस पर अत्यन्त आस्था है। भक्तसमाज में तो इसका और भी अधिक समादर है। बड़े-बड़े वैष्णवाचार्यों ने इस पर टीकाएँ और निबन्ध लिखे है। वोपदेव आदि मनीषियों ने भी इसके रस को अपनी वाणी के द्वारा जनता के सम्मुख उपस्थित करने के लिए नाना कृतियाँ रची है।

कई पुराण, महाभारत और ब्रह्मसूत्रों की रचना करने पर भी श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यास का अपनी कृतियों से मनस्तोष नहीं हुआ। उन्हें अपनी कृतियों में कुछ अभाव- सा खटकता रहा। देवर्षि नारदजी के उपदेश से भगवद्‌गुणवर्धन प्रधान श्रीमद्भागवत की रचना करने पर उनका मानस कमल खिल उठा। श्रीमद्भागवत भगवान् की मधुरतम लीला-कथाओं से ओत-प्रोत है, इसीलिए ज्ञानी, भक्त, मुमुक्षु और संसारी सभी को यह परम प्रिय है। सके श्रवण और पारायण से पाप-ताप से व्याकुल चित्त को शान्ति मिलने के कारण है। भागवत सप्ताह, पारायण आदि का जनता में जितना प्रचार है उतना अन्य किसी पुराण का नहीं। इस पर शैव, वैष्णव, शाक्त आदि सम्प्रदायों की समान आस्था है।

पण्डितप्रवर श्री राममूर्ति शास्त्री पौराणिकजी ने प्राञ्जल भाषा में इसका सार साप्ताहिक कथा के रूप में लिखकर भागवतप्रेमी जनता का बड़ा उपकार किया है। सुचारु रूप से भागवत प्रतिपाद्य विषयों का निरूपण करते हुए पण्डितजी ने बीच-बीच में भागवत तथा अन्य पुराणों के प्रसङ्गोपयोगी श्लोक दृष्टान्त, विशेष-विशेष पात्रों के पूर्वजन्म की कथाएँ भी दर्शाई हैं इससे इस ग्रन्थ की उपादेयता तथा रोचकता अत्यधिक ‘बढ़ गयी है। गोपी-चीरहरण, रासलीला आदि विषयों पर भी प्रचुर प्रकाश डाला गया है।

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