Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Shringar Shatkam (श्रृंगार शतकम्)

25.00

Author Dr. Devarishisnaday Shastri
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2016
ISBN -
Pages 47
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0742
Other Dispatched in 1-3 days

 

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

श्रृंगार शतकम् (Shringar Shatkam) राजवि भर्तृहरि-रचित शतकत्रा में ‘श्रृंगारशतक’ का स्थान द्वितीय और इस प्रकार मध्यम है-प्रथम नीति, द्वितीय (मध्यम) श्रृंगार और तृतीय (अंतिम) वैराग्य। मानव जीवन के भी स्थूलतया तीन भाग हैं- अवपन, जवानी, बुढ़ापा-बाल्य, यौवन और वार्धक्य। महाकवि कालिदास ने इरुवाकु वंशीय नरेशों के विषय में बताया है कि वे बचपन में सीखते थे, यौवन में विषयैषी होते थे और वार्धक्य में मुनि-जीवन स्वोकार। अंत में योग द्वारा देह-त्याग कर देते थे। भर्तृहरि-द्वारा निर्दिष्ट मार्ग भी यही है बालकों के लिए नीति, तरुणो के लिए श्रृंगार और सीखे छके, तृत चूड़ों के लिए वैराग्य।

जैसे जोवन में तारुण्य का महत्व है, वैसे ही शृंगार का भी। न केवल श्रृंगार ‘सकलजातिसुलमतयाऽत्यन्तपरिचित’ ही है, वह हृय भी है, शुचि भी है बऔर उज्ज्वल भी ‘यत्किञ्चिल्लोके शुबि मेध्वमुज्ज्वलं दर्शनोयं वा तच्छु ङ्गारेणोपमीयते।’ भरतमुनि के अनुप्तार प्रायः सब भाबों की निष्पत्ति काम से है–‘प्रायेण सर्वभाबानों कामाक्षिष्पत्तिरिष्यते।’ काम ही इच्छा-गुण-संपन्न हो बहुधा परिकल्पित है–धर्मकाम, बर्धकाम, मोक्षकाम, कामकाम। यह ‘कामकाम’ ‘तृतीय पुरुषार्थवारिधि’ है और इसको तारनेवालो नौका है नारी। स्त्री-पुरुष योग काम कहा गया है। नानाशीला सुख को मूल स्त्रियाँ श्रृंगार-साधना में प्रमुख हैं। ‘श्रृंगारशतक’ इसी साधना की व्याख्या करता है। इस साधना में भर्तृहरि की बंदना के अनुसार शिव, ब्रह्म और विष्णु भो सुंदरियों के घरेलू सेवक बन जाते हैं।

तो श्रृंगार है तो यह जगत् है। यह जगत् सत्य है, मनोरम है, सपने जैसा मोहक है तो श्रृंगार भी वैसा ही है, यह अनित्य है; भंगुर है तो श्रृंगार थी। परंतु नलिनी-दल पर दमकता जलबिन्दु क्या मोहक नहीं होता ? और राजर्षि इस क्षणभंगुर किन्तु मोहक जीवन सौंदर्य-सागर में एक बार मंझधार में लहरों का निमंत्रण देते हैं। आपका स्वागत। क्या आप ‘तीर पर कैसे रुहूं मैं बाज शहरों में निमंत्रण !

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Shringar Shatkam (श्रृंगार शतकम्)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×