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Srimad Bhagavat Mahapurana Me Varnit Pramukha Stuti Sangrah (श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित प्रमुख स्तुति-संग्रह)

450.00

Author Dayaram Gupt
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Sanskrit Text With Hindi Translation
Edition 2019
ISBN 978-8190191497
Pages 376
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0029
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Description

श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित प्रमुख स्तुति-संग्रह (Srimad Bhagavat Mahapurana Me Varnit Pramukha Stuti Sangrah) श्रीमद्भागवत महापुराण साक्षात् भगवान् का स्वरूप है। श्रद्धालु भक्तजन इसी भावना से इसकी पूजा करते हैं। महर्षि वेदव्यास जी को इसी की रचना से शान्ति प्राप्त हुई। इसमें कर्म, ज्ञान, भक्ति के विविध रूप, मर्यादा, अनुग्रह आदि सभी मार्गों का परम रहस्य बड़ी मधुरता के साथ प्रतिपादित किया गया है। यह सभी मतभेदों का समन्वय करने वाला ग्रन्थ है।

यह विद्या का तो भण्डार ही है। इसमें कई प्रकार के अमोघ प्रयोगों का उल्लेख है। जैसे नारायण कवच (६.८) से समस्त विघ्न-नाश एवं विजय- प्राप्ति, पुंसवन व्रत (६.१९) से सब कामनाओं की पूर्ति, गजेन्द्र-स्तवन (८.३) द्वारा ऋण से मुक्ति एवं शत्रु से रक्षा, पयोव्रत (८.१६) से मनवांछित सन्तान की प्राप्ति, सप्ताह श्रवण या पारायण से प्रेतत्त्व से मुक्ति, इत्यादि। निष्काम भाव से इसके पाठ से भगवत्प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है एवं भगवान् के चरणों में अचल भक्ति होती है।

आजकल लोगों का जीवन प्रायः अत्यधिक व्यस्त रहता है। ऐसे में श्रीमद्भागवत जैसे विशालकाय ग्रन्थ का पारायण अत्यन्त कठिन लगता है। इसमें विभिन्न व्यक्तियों एवं ब्रह्मा, इन्द्र आदि देवों द्वारा भगवान् परमेश्वर की स्तुति वर्णित है। इस पुस्तक में उन्हीं में से कुछ प्रमुख स्तुतियों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है; वह भी संधि, समास, संयोग जनित विकारों को उच्चारण में परिवर्तन किए बिना सरल करने का प्रयास किया गया है ताकि संस्कृत-भाषा का अल्प-ज्ञान रखने वाला व्यक्ति भी आसानी से शुद्ध पाठ कर सके।

रोमन लिपि (abc) में तो इस्कॉन सम्प्रदाय के प्रवर्तक श्रीयुत् भक्तिवेदान्त जी द्वारा सम्पूर्ण भागवत पुराण का पाठ ऐसा ही सरल करके छपवाया हुआ है। किन्तु देवनागरी लिपि (क, ख, ग) में इस प्रकार का पाठ नहीं मिलता। प्रत्येक स्तुति से पूर्व हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में छोटी सी भूमिका भी दे दी है ताकि पाठक उस स्तुति का सन्दर्भ समझ सकें।

आशा है श्रीमद् भागवत के श्रद्धालु पाठकों को यह संग्रह कुछ सुविधा प्रदान करने में सहायक होगा। प्रत्येक पद्य के साथ श्रील प्रभुपाद जी द्वारा प्रदत्त हिन्दी अनुवाद भी दे दिया गया है। इनकी विस्तृत व्याख्या एवं तात्पर्य समझने के लिए अठारह खण्डों में प्रकाशित भक्ति वेदान्त ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतम् को पढ़ना चाहिए।

मेरी शिष्या डॉ० सन्ध्या राठौर हंसराज महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में असोसिएट प्रोफेसर हैं। इन्होंने इस पुस्तक के प्रूफ संशोधन में बहुत सहायता की है। इन्हों ने अनेकशः बहुमूल्य सुझाव भी दिये हैं। इनका धन्यवाद करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। विद्यानिधि प्रकाशन के श्री बद्रीनाथ तिवारी जी ने अत्यल्प समय में प्रकाशन की व्यवस्था की है। उन्हें बहुत बहुत बधाई। मेरे सुपुत्र ब्रजमोहन गुप्त ने इस पुस्तक के प्रकाशन का सम्पूर्ण व्यय वहन करके अति उदारता का परिचय दिया है। प्रभु से प्रार्थना है इनको अपनी अनन्य भक्ति प्रदान कर अनुगृहीत करें। विद्वज्जनों एवं सभी भक्तजनों से प्रार्थना है कि इस में संशोधन के सुझाव भेजने की कृपा करें।

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