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Upnayan Sanskar Paddhati (उपनयन संस्कार पद्धति)

64.00

Author Pt. Devnarayan Shokha Shastri
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Sanskrit
Edition -
ISBN -
Pages 160
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0036
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Description

उपनयन संस्कार पद्धति (Upnayan Sanskar Paddhati)  हमारे सनातन धर्म के कर्मकाण्डों में वैदिक मन्त्रों का ही प्रयोग होता है, जिनका वेद-ज्ञान के बिना उच्चारण करना भी कठिन है। जिनके यहाँ पुरोहिती होती रही है, उन्हें भी सरल पुस्तकों के अभाव में कर्मकाण्ड कराना कठिन होता है। अतः संस्कारों की सरल पद्धतियों को संस्कृत के कम ज्ञान वाले पुरोहितों के सुविधार्य तैयार किया गया है। अतः वेद के थोड़े से चिन्हों के स्थान पर उन चिन्हों से जो उच्चारण होता है, वह लिख दिया गया है, ताकि पुस्तकें और सरल हो जाँय ।

प्रस्तुत पुस्तक में पूजन अर्चन की पद्धति सरल हिन्दी में समझा कर लिखा गया है कि किन-किन मन्त्रों से और कैसे पूजन करना-कैराना चाहिये। प्रस्तुत पुस्तक में दित्व का प्रयोग नहीं है, जिसमे उच्चारण और कठिन हो जाता है। वैदिक मन्त्रों में ‘गुंग’ शब्द का अत्यधिक प्रयोग होता है जिसके लिए DE चिन्ह दिये जाते हैं। ऐसे स्थानों पर सीधे ‘गुंग’ लिख दिया गया है, इसे गुंग पढ़े। इसी प्रकार से विसर्ग के लिये आदि चिन्ह दिए जाते हैं। ऐसे चिन्हों के स्थान पर (:) लगा दिया गया है, ताकि सर्व-साधारण को पढ़ने में सुविधा रहे। इस प्रकार से पुस्तक सरल और सुपाठ्य हो गयी है।

‘उपनयन’ वैदिक परंपरा की अनुयायी आर्य संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्कार था। यह एक प्रकार का शुद्धिकरण (संस्करण) था, जिसे करने से वैदिक वर्णव्यवस्था में व्यक्ति द्विजत्व को प्राप्त होता था (जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते),अर्थात् वह वेदाध्ययन का अधिकारी हो जाता था।

उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है।

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