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Vaisesika Darshan Parishilan (वैशेषिक दर्शन परिशीलन)

225.00

Author Shashi Prabha Kumar
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Hindi
Edition 2010
ISBN 81-86700218
Pages 136
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0041
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Description

वैशेषिक दर्शन परिशीलन (Vaisesika Darshan Parishilan) प्रस्तुत ग्रन्थ की विषयवस्तु ‘वैशेषिक दर्शन’ है। आस्तिक भारतीय दर्शनों में अन्यतम वैशेषिक दर्शन के सिद्धान्त वर्तमान अध्ययन की दृष्टि से अतीव प्रसांङिग्क हैं-किन्तु खेद का विषय है कि इस दर्शन की विचारसरणि अधिक प्रसार नहीं पा रही क्योंकि इसमें निहित दार्शनिक तत्त्व अत्यन्त निगूढ एवं सूक्ष्म हैं। अत: ऐसे ही कुछ उपेक्षित परन्तु अपेक्षणीय बिन्दुओं पर आधारित शोध-निबन्धों का यह संकलन वैशेषिक उपादेय होगा तथा इस दिशा में शोध करनेवाले जिज्ञासुओं के लिए कुछ नूतन विचारणीय सामग्री भी प्रस्तुत करेगा, ऐसा विश्वास है। इस संकलन में रखे गये निबन्ध वैशेषिक, तत्त्वमीमांसा, नीतिमीमांसा, सृष्टिमीमांसा, ज्ञानमीमांसा एवं वैशेषिक साहित्य के सन्दर्भ में विविध पक्षों को प्रस्तुत करते हैं, अत: ‘वैशेषिक दर्शन-परिशीलन’ इस नाम की अन्वर्थता भी सिद्ध होती है। आशा है कि प्रस्तुत कृति द्वारा भारतीय दर्शन के अध्येता वैशेषिक दर्शन के विशेष अध्ययन में प्रेरित एवं प्रवृत्त्व होगें। भारतीय दार्शनिक चिन्तन के क्षेत्र में वैशेषिक दर्शन का महत्त्व निर्विवाद है। वैशेषिक दर्शन के गौरव, गाम्भीर्य एवं वैशिष्ट्य का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि विगत ढाई दशकों से यह मेरे विशिष्ट अध्ययन एवं अध्यापन का विषय रहा है; प्रभु-प्रसाद एवं गुरुजनों के आशीर्वाद से मुझे अपने शोधग्रन्थ ‘वैशेषिक दर्शन में पदार्थ-निरूपण’ पर प्रचुर प्रशंसा एवं अनेक सम्मान भी उपलब्ध हुए, तथापि मैं अद्यावधि यह कहने में असमर्थ हूँ कि मैंने इस गहन, व्यापक शास्त्र-परम्परा का तलस्पर्शी वैदुष्य अधिगत कर लिया है। अभी भी इस शास्त्र से सम्बद्ध ऐसी अनेक समस्याएँ एवं प्रश्न हैं जिनके उत्तर इदमित्थंतया नहीं दिये जा सकते। यही कारण है कि जब कभी किसी सङ्गोष्ठी या चर्चा में भाग लेने का अवसर मिलता है तो मेरा यह प्रयास रहता है कि वैशेषिक दर्शन की सैद्धान्तिक धारा के कतिपय जटिल बिन्दुओं पर विद्वानों के साथ विचार-विमर्श किया जाये, क्योंकि ‘वादे-वादे जायते तत्त्वबोधः’

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