Valmiki Ramayana Subhashit Ratnavali (वाल्मीकि रामायण सुभाषित रत्नावलि)
₹315.00
Author | Shri Vats Shastri |
Publisher | Vidyanidhi Prakashan, Delhi |
Language | Hindi |
Edition | 2017 |
ISBN | 978-8190191432 |
Pages | 182 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VN0011 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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वाल्मीकि रामायण सुभाषित रत्नावलि (Valmiki Ramayana Subhashit Ratnavali) प्रस्तुत ग्रन्थ वाल्मीकिरामायणसूक्तिरत्नावलि डॉ. श्रीवत्स शास्त्रीजी की स्वाध्यायशीलता, परिश्रम और प्रतिभा का सुरभित प्रसून है। इसमें महर्षिवाल्मीकिरचित आदिकाव्य वाल्मीकि रामायण महाकाव्य के विविध प्रसङ्ग में कविनिबद्ध वक्ता द्वारा प्रयुक्त सूक्ति रत्नों का संकलन और उनकी सप्रसङ्ग व्याख्या प्रस्तुत हुई है।
काव्यशास्त्र के आचायों ने विविध काव्यों की रचना के मूल में कवि के मानस में निहित प्रयोजन विशेष का जो संकलन प्रस्तुत किया है उनमें यश की प्राप्ति, राज्याश्रय से धन की प्राप्ति, देवताविशेष की स्तुति करके उनकी कृपा द्वारा रोग आदि विपदाओं से मुक्ति, अलौकिक आनन्द की अनुभूति, व्यावहारिक ज्ञान प्रदान की भावना और अत्यन्त माधुर्य के साथ उपदेश की प्रस्तुति आदि स्वीकार किये हैं।
इनमें प्रथम चार प्रयोजन तो निजस्वार्थ की सिद्धि के हैं, पंचम कवि और सहृदय पाठक दोनों के आनन्द का हेतु है और अन्तिम दो समाज को स्वस्थ और सुस्थिर बनाने की कवि की कामना को व्यक्त करते हैं। महर्षि वाल्मीकि आप्तकाम परम भक्ति से भरित व्यक्तित्व के धनी थे अतः उनकी रचना के प्रयोजनों में से अन्त के तीन प्रयोजन स्वीकार किये जा सकते हैं।
जिस प्रकार किसी भी प्रकार के आभूषण उसे धारण करने वाले व्यक्ति के सौन्दर्य में अभिवृद्धि करते हैं किन्तु यदि वे मणि मुक्ता आदि रत्नों से जटित हों तो निश्चय ही अप्रतिम आकर्षण के कारण बन जाते हैं ठीक उसी प्रकार काव्य रसात्मक होने के कारण कान्ता सम्मित उपदेश का हेतु तो होता ही है किन्तु यदि वह सूक्ति रत्नों से जटित हो तो उसका प्रभाव शतगुणित होकर पाठक या श्रोता पर अपना प्रभाव प्रस्तुत करता है। इसका मुख्य कारण सूक्ति रत्नों का वक्ता के कथन की आत्मा होना है।
डॉ. श्रीवत्स ने वाल्मीकि रामायण महाकाव्य में स्थान-स्थान पर निवद्ध सूक्तियों का सप्रसङ्ग संकलन प्रस्तुत करके जहाँ एक ओर पाठकों के जीवनपथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रकाशस्तम्भ प्रस्तुत किया है वहीं वक्ताओं को अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए उसे अनुपम निधि प्रदान कर दी है।”
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