Yoga Chandrika (योगचंद्रिका)
₹387.00
Author | Shri Laksamana Pandit |
Publisher | Chaukhambha Viswabharati |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2014 |
ISBN | 978-93-81301-49-4 |
Pages | 551 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CVB0013 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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योगचंद्रिका (Yoga Chandrika) योगचन्द्रिका यह योगप्रधान चिकित्साग्रन्थों में प्रमुख स्थान रखता है। इसके रचयिता लक्ष्मण ब्रह्मज्ञानिवंशावतंस दत्त के पुत्र तथा नागनाथ और नारायण के शिष्य थे जैसा कि ग्रंथ के प्रारंभिक श्लोकों में निर्दिष्ट है। लक्ष्मण ने अपना नाम रचयिता के रूप में (बुध लक्ष्मणनिर्मितौ) प्रत्येक अध्याय के अन्त में पुष्पिका-पद्म में दिया है।
योगचन्द्रिका कुल अड़तीस अध्यायों में विभक्त है जिसमें चिकित्सा के सभी अङ्गों पर प्रकाश डाला गया है। प्रारंभ में, चिकित्साविधियों और भेषजकल्पनाओं पर सामान्य विचार किया गया है। क्षयचिकित्सा के अन्तर्गत प्रसंगतः धातुओं, उपधातुओं तथा रनों के शोधन-मारण का वर्णन किया गया है। वैद्यों के लिए प्रसादजनक प्रकाश के विस्तार के कारण इसका ‘योगचन्द्रिका’ नाम सार्थक है, लेखक ने स्वयं इसे ‘अगदङ्कारचकोरतोषिणी’ कहा है।औषधयोगों में यद्यपि वानस्पतिक योग भी हैं तथापि रसौषधों की प्रमुखता है। अहिफेन का भी प्रयोग है। शंखद्राव का वर्णन है। सप्तधातुओं में पित्तल की गणना है, यशद की नहीं । शार्ङ्गधर ने भी ऐसा ही किया है, भावप्रकाश में सप्त धातुओं में यशद है। ये सब तथ्य ग्रन्थ के कालनिर्णय में सहायक हो सकते हैं।
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