Yoga Vasishtha Me Mukta Ka Swarup (योगवासिष्ठ में मुक्त का स्वरुप)
₹405.00
Author | Dr. Lalita Kumari Juneja |
Publisher | Vidyanidhi Prakashan, Delhi |
Language | Hindi |
Edition | 2010 |
ISBN | - |
Pages | 204 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VN0053 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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योगवासिष्ठ में मुक्त का स्वरुप (Yoga Vasishtha Me Mukta Ka Swarup) प्रस्तुत ग्रन्थ में योगवासिष्ठ के अनुसार मुक्त के स्वरूप का दिग्दर्शन कराया गया है। आज के तनाव भरे वातावरण में ‘योगवासिष्ठ’ ग्रन्थ की महत्ता बहुत ही बढ़ जाती है। इसमें गुरु वसिष्ठ ने श्रीराम को मनुष्य जीवन जीने का मंत्र दिया है। आज के मानव की भौतिक वस्तुओं की पिपासा इतनी तीव्र है कि वह ‘अपरिग्रह’ की महत्ता को समझ नहीं पाता, वेदों में निर्देशित मार्ग को भूल गया है।
ऐसे में संसार में व्यावहारिक तल पर भी उचित व्यवहार कैसे किया जाए, यह सब मुक्त के व्यवहार के द्वारा ‘योगवासिष्ठ’ में गुरु वसिष्ठ ने बड़े ही रुचिपूर्ण तथा औचित्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। वास्तव में इन्हीं उपदेशों के अनुसार जीवन-यापन करते हुए मनुष्य एक आदर्श समाज की संरचना कर सकता है। आज सर्वत्र विश्व-शान्ति की बात की जाती है।
विश्व-शान्ति के लिए व्यक्ति की मानसिक शान्ति अत्यावश्यक है और व्यक्ति की शान्ति के लिए उसकी सकारात्मक सोच की आवश्यकता है। सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को उचित ढंग से जीने व व्यवहार करने की प्रेरणा देती है । वही समाज में उसे उच्च स्तर पर प्रतिष्ठित करती है। यही सब वह विषय-वस्तु है, जो मुक्त के स्वरूप में वर्णित है । व्यवहार के द्वारा योगवासिष्ठ में गुरु वसिष्ठ ने बड़े ही रुचिपूर्ण औचित्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। वास्तव में इन्हीं उपदेशों के अनुसार जीवन-यापन करते हुए मनुष्य एक आदर्श समाज की संरचना कर सकता है।
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