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Yoga Vasistha Maharamayana Set of 3 Vols. (योगवासिष्ठः महारामायणम् 3 भागो में)

2,720.00

Author Pt. Shree Krishna Pant Shastri
Publisher Chaukhambha Surbharati Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2022
ISBN 978-93-85005-34-3
Pages 3166
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0753
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Description

योगवासिष्ठः महारामायणम् 3 भागो में (Yoga Vasistha Maharamayana Set of 3 Vols.) योगवासिष्ठ वेदान्तशास्त्र के मुख्य प्रमाणित ग्रन्य प्रस्थानत्रयी उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और गीतादि में एक संस्कृत भाषा का बृहत् ग्रन्थ है। बृहद् योगवासिष्ठ में लगभग बत्तीस हजार (३२०००) या तैतीस हजार (३३०००) श्लोक है। यह ग्रन्थ योगवासिष्ठमहारामायण, महारामायण, आर्षरामायण, वासिष्ठरामायण, ज्ञानवासिष्ठ और वासिष्ठ आदि नामों से भी ज्ञात है। यह ग्रन्थ अत्यन्त आदरणीय है, क्योकि इसमें किसी सम्प्रदायविशेष का उल्लेख नहीं है। भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक इसका पाठ, मूल तया भाषानुवाद में, चिरकाल से होता चला आ रहा है। जो महत्त्व भगवद् भक्तों के लिए भागवतपुराण और रामचरितमानस का है, तथा कर्मयोगियों के लिए भगवद्गीता का है, वही महत्त्व ज्ञानियों के लिए योगवासिष्ठ का है। सहस्रों स्त्री-पुरुष-राजा से रङ्क तक-इस अद्भुत ग्रन्थ के अध्ययन से प्रतिदिन के जीवन में आनन्द और शान्ति प्राप्त करते रहे हैं। इस ग्रन्थ में प्रायः सभी प्रकार के पाठकों के अनुयोग के लिए सामग्री प्रस्तुत है। जहाँ अबोध बालक भी इसकी कहानियाँ सुनकर प्रसत्र होते हैं, वहा बड़े-बड़े विद्वानों के लिए गहनतम दार्शनिक सिद्धान्तों का इसमें प्रतिपादन है। ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं है, जिसका समाधान इसमें प्राप्त न हो। यह ऐसा अद्भुत ग्रन्थ है कि इसमें काव्य, उपाख्यान तथा दर्शन सभी का आनन्द वर्तमान है। यह सब श्रुतियों का सार एवं माण्डूक्यकारिका का वार्तिक व्याख्यान ग्रन्थ है। महर्षि वसिष्ठ ने स्वयं कहा है-

यदिहास्ति तदन्यत्र यजेहास्ति न तत्ववचित् ।
इयं समस्तविज्ञानशास्त्रकोशं विदुर्बुधाः ।।

योगवासिष्ठ के प्रस्तुत संस्करण में संस्कृत के प्रत्येक श्लोकों की अत्यन्त सरल हिन्दी भाषा में सुन्दर विवेचना की गई है, जो इसकी प्रमुख विशेषता है। कोई भी व्यक्ति, जो संस्कृत से सर्वया अपरिचित है, इसका सरलतापूर्वक अध्ययन कर योगवासिष्ठ के गूढ़दार्शनिक स्थलों को हृदयंगम कर सकेगा और उसको मुक्तिलाभ के लिए अन्य साधनों की अपेक्षा नहीं होगी। मोक्षप्राप्ति के उपाय ढूंढने की चेष्टा में व्यक्ति को आत्मानुभव होता है। इस ग्रन्थ के अध्ययन से व्यक्ति के सम्पूर्ण क्लेशो-दुःखों का अन्त होकर उसके हृदय में अपूर्व शान्ति प्राप्त होगी। अध्ययनार्थी सांसारिक सुख-दुःख की परिधि से बाहर निकलकर परम आनन्द का अनुभव करेगा। मनोयोगपूर्वक सुध्ययन करनेवाले निश्चय हो इस जीवन में ब्रह्मज्ञान कर मुक्ति को प्राप्त करेंगे। यह ग्रन्थ ज्ञान का भण्डार है। वेदान्त के ग्रन्थों में यह चमकता हुआ रत्न है। मुमुक्षु के लिए यह ग्रन्य नित्य स्वाध्याय-योग्य है। ग्रन्थ की मौलिक उपादेयता की दृष्टि से आशा की जा सकती है कि वेदान्त के सच्चे जिज्ञासुओं में इसका विशेष प्रचार-प्रसार होगा।

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