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Kali Siddhi (काली सिद्धि)

240.00

Author Ashok Kumar Gaud
Publisher Rupesh Thakur Prasad Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2010
ISBN 194-542-2392540
Pages 404
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0157
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Description

काली सिद्धि (Kali Siddhi) हिन्दू धर्म में तैतीस कोटि देवी-देवताओं का समावेश है। उनमें भगवती काली भी हैं। काली शब्द का अर्थ है, जो ‘काल’ की पत्नी है, वही काली है। ‘काल’ शब्द शिवजी के लिए कहा गया है, अतः काली ही शिव की पत्नी हैं।

भगवती काली का स्वरूप – भगवती काली के ललाट पर चन्द्रमा स्थित है। इनके बाल खुले हुए है, ये तीन नेत्रों से युक्त है। इनका स्वर अत्यधिक भयंकर है। ये अपने कानों में बालकों के शव पहने हुई हैं। इनके दोनों ओठों से रक्त की धारा निरन्तर बह रही है। इनके दाँत बाहर की ओर निकले हुए है, जिनसे ये अपनी जीभ को दबायी हुई है। इनके मुखारविन्द पर निरन्तर हँसी व्याप्त रहती हैं। इनके स्तन बड़े और उन्नत है। ये अपने गले में मुण्डमाला धारण करती हैं। ये पूर्णरूप से दिगम्बरा अर्थात् नग्न रहती है, ये अपने हाथों में शवों की करधनी धारण की रहती हैं। काली देवी के ऊपर वाले बायें हाथ में कृपाण है और नीचे वाले बायें हाथ में कटा हुआ सिर है। इनके दायीं ओर के हाथों में अभय और वरमुद्रा है। ये हमेशा युवती ही दिखायी देती हैं। इनके विराट् स्वरूप को देखकर दुष्ट एवं पतित लोग भयभीत हो जाते है। ये काली सदैव भगवान् शिव के साथ सहवास में संलग्न रहती है। इनका वर्ण कृष्ण वर्ण है तथा इनका स्वरूप अचिन्त्य एवं अनुभवैकगम्य है। भगवती काली उत्तर आम्नाय की देवता कही गई हैं। कलियुग में ये शीघ्र फल देनेवाली हैं।

शिवजी की पत्नी काली के विभिन्न रूप है। यही कारण है कि तन्त्रशास्त्र के ज्ञाता भगवती काली को ही आद्याशक्ति महामाया के नाम से पूजित करते हैं। ये आद्याशक्ति शाक्त मतावलम्बियों की इष्टदेवी के रूप में पूजित है। ये कभी सृष्टि का नाश, कभी स्थिति और कभी प्रलय करती है। इस अखण्ड शक्ति के आश्रित ही शिव सृष्टि का संहार करने में समर्थ हो पाते हैं, अन्यथा वह शव के तुल्य हो जाते हैं। भगवती काली की पूजा आज से ही नहीं, अपितु प्राचीन समय से होती चली आ रही है। इनकी उपासना करना अत्यधिक कठिन है, किन्तु जब यह प्रसन्न होती हैं तो अपने साधकों की मनोवांछित कामनाओं को पूर्ण करती हैं।

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