Varad Rajastava (वरदराजस्तव)
₹38.00
Author | Dr. Omprakash Pandey |
Publisher | Chaukhambha Amar Bharati Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 108 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0628 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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वरदराजस्तव (Varad Rajastava) सुप्रसिद्ध अद्वेतवादी दार्शनिक और आलङ्कारिक श्रीअप्पय दीक्षित की अत्यन्त लोकप्रिय स्तोत्र-कृति है। इसकी रचना विष्णुकाञ्ची (कांजीवरम्) के अधिष्ठाता भगवान् वरदराज की स्तुति में सम्पन्न हुई थी।
संस्कृत वाङ्मय स्तोत्र ग्रन्थों का अनन्त आकर है। वेदों से रामायण, महाभारत, पुराणों और आगमों के मध्य प्रवाहित होती हुई भक्ति को यह कोतिकलित भागीरथी महाकाव्य और गीति-काव्य-काल तक अविरत और अविछिन्न रही है। अग्नि, इन्द्र, वरुण, सविता, पूषन्, मित्र, रुद्र, मरुत् और पर्जन्य प्रभृति वैदिक देवों तथा शिव, विष्णु आदि अन्य देवताओं से सम्बद्ध स्तुतियों की संख्या असंख्य है। आस्तिक सम्प्रदायों के साथ ही कुछ अति प्रचलित स्तोत्र-
(क) शैवस्तोत्र – पुष्पदन्त (नवम् शती) कृत ‘शिवमहिम्नस्तोत्र’, रावणकृत ‘शिवताण्डव’, उत्पलदेव की ‘शिवस्तोत्रावली’, जगद्धरभट्ट- रचित ‘स्तुतिकुसुमाञ्जलि’ तथा शंकराचार्य-कृत ‘शिवभुजंगस्तोत्र’ आदि।
(ख) सूर्यस्तोत्र – मयूरकृत ‘सूर्यतशक’
(ग) शक्तिस्तोत्र – बाण-कृत ‘चण्डो-शतक’, शंकराचार्य-कृत ‘अन्नपूर्णा- दशक’, ‘सौन्दर्यलहरी’, ‘देव्यपराधक्षमापनस्तोत्र’ आदि। इनकी संख्या सर्वाधिक है।
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