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Praman Manjari (प्रमाणमञ्जरी)

445.00

Author Dr. Pankaj Kumar Mishra
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Sanskrit
Edition 2008
ISBN 978-9385539701
Pages 101
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0038
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Description

प्रमाणमञ्जरी (Praman Manjari) प्रमाणमञ्जरी आचार्य सर्वदेवसूरि विरचित वैशेषिक दर्शन का एक प्रामाणिक एवं प्राचीन प्रकरण ग्रन्थ है। यह कालजयी ग्रन्थ प्रकरण ग्रन्थों की परम्परा में अत्यधिक प्राचीन है। इस ग्रन्थ की अनुपलब्धता के कारण आधुनिक विद्वानों में इसके विषय अनभिज्ञता देखी जाती है। प्राचीन काल में राजस्थान में इस ग्रन्थ के पठन-पाठन एवं अध्ययन-अध्यापन आदि का यथेष्ट प्रचार रहा है। इस ग्रन्थ के ऊपर प्रशस्तपाद भाष्य का सर्वाधिक प्रभाव प्रतीत होता है। इस सन्दर्भ में यह भी माना जाता है कि शिवादित्य विरचित सप्तपदार्थी तथा प्रकृत ग्रन्थ प्रमाणमञ्जरी, दोनों ही वैशेषिक दर्शन के समकोटिक प्रकरण ग्रन्थ हैं।

सुप्रसिद्ध जैन आचार्य हीरविजय सूरि, जो अकबर के गुरु थे, के शिष्य विजयसेनसूरि के द्वारा पठित ग्रन्थों की एक सुदीर्घ सूची विजयप्रशस्ति नामक संस्कृत महाकाव्य में प्रमाणमञ्जरी का भी नामनिर्देश प्राप्त होता है। शनैः शनै: इस ग्रन्थ के प्रति विद्वानों की रुचि कम होने लगी। तर्कसंग्रह, तर्कभाषा प्रभृति सरल एवं सुबोध ग्रन्थों की रचना ने इसकी प्रसिद्धि को आहत किया। पुनरपि, यह ग्रन्थ पाठकों के लिए अज्ञात एवं अश्रुतपूर्व तो नहीं रहा किन्तु अलब्ध अवश्य हो गया, जबकि इसकी आवश्यकता बनी रही। यही कारण है कि प्रस्तुत ग्रन्थ के पुनः प्रकाशन की भावना मन में उत्पन्न हुई। कदाचित् उसी भावना अथ च चिकीर्षा की परिणति प्रकृत ग्रन्थ है।

(तार्किकचूडामणि-आचार्यसर्वदेवसूरि-प्रणीता) प्रमाणमञ्जरी (टीकात्रयोपेता तनूपाव्याख्यासमन्विता च) इस नाम से प्रकाशित एवं सम्प्रति आपके चक्षुर्यज्ञ का विषयभूत यह अभिनव ग्रन्थ निस्सन्देह आपके ज्ञानयज्ञ में आहुति होगी। साथ ही, विद्वत्पिपासा के शमनार्थ मधुर पेय होगा।

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