Vedic Manovigyan (वैदिक मनोविज्ञान)
₹68.00
Author | Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi |
Publisher | Vishv Bharti Anusandhan Parishad |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2014 |
ISBN | 978-81-85246-60-4 |
Pages | 159 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0023 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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वैदिक मनोविज्ञान (Vedic Manovigyan) वेदों की महिमा अपार है। वेद ज्ञान के स्त्रोत हैं। विश्व को सर्वप्रथम ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है। वेद मानव-मात्र के लिए प्रकाश-स्तम्भ हैं। जहाँ वेदों की ज्योति है, वहाँ प्रकाश है, उन्नति है, सुख है, शान्ति और सतत विकास है।…. वेदों का स्वाध्याय प्रत्येक व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व की उन्नति का साथन है, विश्व-बन्धुत्व का प्रेरक है और विश्व-धर्म का संस्थापक है।
पुस्तक लेखन का उद्देश्य – वेद आर्य जाति का सर्वस्व है, मानव-मात्र का प्रकाश स्तम्भ और शक्ति स्त्रोत है। वेदों का प्रकाश संसार भर में फैलकर मानव-जीवन में व्याप्त निराशा, अज्ञान, अन्धकार, दुर्विचार, अनाचार, दुर्गुण, आधि-व्याधि और दिशा-भ्रम को दूर करे, जिससे ज्ञान, आचार, संयम और सुसंस्कृति का आलोक सर्वत्र व्याप्त हो। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए चारों वेदों से विभिन्न विषयों पर मन्त्रों का संकलन किया गया है। वेदों के मन्त्र सरल संस्कृत के तुल्य सुबोध और हृदयंगम हो सकें, इसलिए प्रत्येक मन्त्र का अन्वय, शब्दार्थ, अनुशीलन, टिप्पणी आदि देकर उसे सुगम बनाया गया है। साधारण हिन्दी जानने वाला व्यक्ति भी इस प्रकार वेदों के अमृत का रसास्वाद कर सकता है।
योजना का स्वरूप – इस वेदामृतम् ग्रन्थमाला की योजना है कि वेदों में वर्णित सभी ज्ञान और विज्ञान के विषय पृथक् पृथक् ग्रन्थों में विषयानुसार वर्णित हों। इसलिए विषयानुसार वेदामृतम् ४० खण्डों में प्रकाशित करने की योजना है। इसके प्रथम सात भाग ‘सुखी जीवन’, ‘सुखी गृहस्थ’, ‘सुखी परिवार’, ‘सुखी समाज’, ‘आचार-शिक्षा’, ‘नीति-शिक्षा’ और ‘वेदों में नारी’ नाम से प्रकाशित हो चुके है। अष्टम भाग पाठकों के हाथों में समर्पित है।
व्याख्या की पद्धति – प्रत्येक मन्त्र को अत्यन्त सरल ढंग से समझाने के लिए सर्वप्रथम मन्त्र का अन्वय दिया गया है। अन्वय के अनुसार ही प्रत्येक शब्द का हिन्दी में अर्थ दिया गया है। तदनुसार मंत्र का हिन्दी में अर्थ है और उसके पश्चात् मंत्र का अंग्रेजी अनुवाद भी अंग्रेजी जानने वालों की सुविधा के लिए दिया गया है। अनुशीलन में मंत्र का भाव व्याख्या के ढंग से समझाया गया है। मंत्र में व्याकरण आदि की दृष्टि से व्याख्या के योग्य शब्दों के प्रकृति प्रत्यय आदि टिप्पणी में दिए गए हैं। इससे पाठक मंत्रों का अर्थ आदि सूक्ष्मता के साथ समझ सकेंगे।
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