Kali Rahsyam (काली रहस्यम) 1213
₹212.00
Author | Ved Prakash Gaud Shastri |
Publisher | Shavitri Thakur Prakasan |
Language | Hindi Text Sanskrit Translation |
Edition | 2022 |
ISBN | - |
Pages | 320 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0099 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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काली रहस्यम (Kali Rahasyam) काल अर्थात् शिव की पत्नी को काली कहा जाता है। तन्त्रशास्त्र के ग्रन्थों में काली को ही आद्याशक्ति महामाया के नाम से त्रैवर्णिक पूजित करते हैं। काली आदि, मध्य एवं अन्त से रहित संसार की स्वामिनी एवं महामाया हैं। यद्यपि वे नाम, रूप एवं आकार से रहित हैं, किन्तु शास्त्रकारों ने उनके गुणों की अपार महिमाओं का वर्णन ग्रन्थों में किया है। यह आद्याशक्ति तथा शाक्तमतावलम्बियों की इष्टदेवी के रूप में विद्यमान हैं, ये ही सृष्टि का नाश, स्थिति तथा प्रलय करती हैं। इस अखण्ड शक्ति के आसित ही भगवान् शिव सृष्टि का संहार करने में समर्थ हो जाते हैं, अन्यथा वे शवतुल्य हो जाते हैं।
दस महाविद्याओं में काली का नाम सर्वप्रथम आता है, इसलिये पूर्णतः सिद्ध होता है कि तन्त्रशास्त्र के ग्रन्थों में काली का पूर्ण उल्लेख है। भगवती महाकाली का वर्णन मारकण्डेयपुराण में वर्णित है, इनका जन्म भगवती अम्बिका के ललाट से हुआ है। यह महाकाली भक्तों के भावना के अनुसार भद्रकाली, श्मशानकाली एवं सिद्धकाली के रूप में प्रकट होती हैं एवं उनके अभीष्ट को पूर्ण करती हैं। उपरान्त अपने मूल स्वरूप में तिरोहित हो जाती हैं। इनकी विभूति एवं ऐश्वर्य व ज्ञान के रूप में ही दुर्गा, लक्ष्मी एवं सरस्वती आदि शक्तियाँ हैं। जो साधकों के भिन्न-भिन्न मनोरथों को पूर्ण करती हैं।
काली तत्त्व को समझने के लिये पहले कालतत्त्व को समझना अतिआवश्यक है, क्योंकि काली के साथ काल का सम्बन्ध अति घनिष्ठ है। काली का वर्ण काला है, चन्द्र, सूर्य उनके चक्षुस्वरूप हैं, जिसकी दीप्ति से यह संसार उज्ज्वल है। काली की मूर्ति में जो संहार की कराल विभिषिका प्राप्त होती है, वे प्रत्यक्ष है, क्योंकि उनके चरणों के नीचे सर्वान्तकारी महाकाल हैं तथा जिसके हाथ में खड्ग और नरमुण्ड है। काली के गले में सदैव नरमुण्डमाला सुशोभित रहती है। उनका निवास स्थान श्मशानभूमि है, भगवान् शिव उनके पति हैं, उनके अङ्ग प्रत्यङ्ग भूषण-वाहन भी सभी नित्य है। इस प्रकार की कालीदेवी पर यह ‘काली-रहस्य‘ नामक पुस्तक आप सभी महानुभावों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा है कि इस पुस्तक का अनुसरण सभी लोग करेंगे।
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