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Paurohitya Karm Vidhi (पौरोहित्य कर्म विधिः) Code-310

400.00

Author Dr. Ashok Kumar Gaud
Publisher Rupesh Thakur Prasad Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition -
ISBN 310-542-2392546
Pages 560
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0122
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Description

पौरोहित्य कर्म विधिः (Paurohitya Karm Vidhi) “पौरोहित्यकर्मविधि” नामक ग्रन्थ का संकलन डॉ० अशोक कुमार गौड जी द्वारा किया गया है। इसमें कुल नव भाग है।

प्रथम भाग में प्रातः हस्तदर्शन, पृथिवी प्रार्थना के अनन्तर गणपति, शिव, हरि, सूर्य, दुर्गा, श्रीराम, पुण्यश्लोकजन एवं नवग्रहों की स्तुतियाँ हैं। तदनन्तर गुरुध्यान है। उसके बाद स्नान से लाभ तथा स्नानविधि है। तिलक से लाभ, तिलक नहीं करने से हानि, भस्म, चन्दन, यज्ञोपवीत आदि के धारण का प्रयोजन पूर्वक धारण विधि वर्णित है। तदनन्तर संध्या विषयक विवेचन है। आशौच में सन्ध्या का प्रकार के बाद सन्ध्योपासन, बलिवैश्वदेव, पञ्चबलि विधान, तर्पण विषय में विशेष विचार है तथा तर्पणविधि का वर्णन है। द्वितीय भाग में उपनयनविधि, कुम्भविवाह एवं विवाहविधि है। तृतीय भाग में यागकर्म की क्रमिकविधि है। आगे याग एवं हवन के न्यास हैं। पुनः होम एवं बलिविधान का वर्णन है। इसके पश्चात् पूर्णाहुत्यादि-आशीर्वादान्त विषय हैं। चतुर्थ भाग में सर्वप्रथम सामान्यपूजन के विषय में विशेष विचार है। तदनन्तर विष्णु, शिव, दुर्गा, महालक्ष्मी, देहली विनायक, महाकाली दावात, लेखनी, सरस्वती, कुबेर, तुला, मान एवं दीपपूजन का विधान है। पञ्चम भाग में अन्त्येष्टि संस्कार से लेकर प्रायः समस्त श्राद्धों की विधि है। अन्त में मरणाशौच-जननाशौच के विषय में विशेष विचार किया गया है। छठे भाग में पञ्चाङ्ग-परिचय, विवाहप्रसंगविचार, गुणमेलापक, नक्षत्र से राशि जानने का विचार है। आगे गणना में अष्टकूटविचार, नक्षत्र-योनि-गणादि की तालिका है। द्वादश राशियाँ वर्णादि सहित मासादि घात तालिका, गण, नाडी, तारा, भकूट और ग्रहमैत्रीविचार है। गुणग्रहणविचार, मार्तण्ड मत से गुणमेलापक है। उसके बाद-वर्ण, योनिवैर, गण, कूट, नाडी का फलकथन है। असत्कूटविचार, उसमें दान, विवाह योग्य नक्षत्र, गणनागुणबोधक चक्र, मांगलिक दोष तथा उसका परिहार एवं विविध मुहूर्तविचार है। सातवें भाग में नवग्रहस्वरूप, उनकी शान्ति, नवग्रहयन्त्र और नवग्रहपूजन है। आठवें भाग में वास्तुशान्ति, मूलशान्ति, महामृत्युञ्जयजपविधि है। नवम भाग में शुक्लयजुर्वेदीय-रुद्राष्टाध्यायी, पुरुषसूक्त, रुद्रसूक्त, ब्रह्मसूक्त, श्रीसूक्त, अप्रतिरथसूक्त, रक्षोघ्नसूक्त, पवमानसूक्त, पितृमन्त्र, रुचिस्तोत्र तथा गणपत्यथर्वशीर्ष है। परिशिष्टभाग में चक्र एवं तत्तत्कर्मप्रयुक्त सामग्रियों का संकलन है।

इस प्रकार इस ग्रन्थ में पौरोहित्यकर्म से सम्बन्धित विधियों के अनुपम संग्रह के लिये डॉ० गौडजी सर्वथा साधुवाद के पात्र है। पौरोहित्यकर्मपथगामियों के लिये यह सर्वथा ग्राह्य संग्रह है।

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