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Tarka Sangrah (तर्कसंग्रह:)

96.00

Author Dr. Narvadeshwar Tiwari
Publisher Bhartiya Vidya Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 111
Cover Paper Back
Size 12 x 1 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0111
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Description

तर्कसंग्रह: (Tarka Sangrah) इस प्रकरणग्रन्थ की रचना का काल १७ वीं शती है। तर्कसङ्ग्रह ग्रन्थ लोकप्रियता में अद्वितीय है। यह प्रकरणग्रन्थ पठन पाठन में विशेष प्रचलित है। यह न्याय यावैशेषिक तत्वों की जानकारी के लिए प्रवेश द्वार समझा जाता है। वस्तुतः इसकी रचना शैली इतनी सुगम एवं सुव्यवस्थित है कि अत्यन्त कम समय में आसानी से पदार्थों (वैशेषिक तैयायिक) की जानकारी इससे सर्वथा सम्भव हो जाती है। इतना स्पष्ट एवं सुगमता से इन पदार्थों का ज्ञान कराने वाला कोई ग्रन्थ नहीं है। इसके रचयिता अन्नम्भट्ट तैलङ्ग ब्राह्मण थे, इन के पिता का नाम अद्वैतविद्याचार्य तिरूमल था। काशी आकर विद्यासम्पादन में इन्होंने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। इनकी ख्याति इनके ग्रन्थ तर्कसङ्ग्रह एवं उस पर की गई इनकी दीपिका टीका से हुई। इनकी एवं इनके ग्रन्थ की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण इनके ग्रन्थ का पठन पाठन में तब से अबतक की विद्यमानता ही है।

इस ग्रन्थ की रखना एवं लोकप्रियता से दक्षिण में यह मुहावरा ही (लोकोक्तिही) प्रसिद्ध हो गया कि “काशीगमनमात्रेण नान्नम्भट्टायते द्विजः” इसी से इनके पाण्डित्य एवं वृद्धिकौशल का पता चलता है। तर्कस‌ङ्ग्रहग्रन्थ की महिमा इनमे भी समझ लेनी चाहिए कि इस पर २५ तथा उसकी टीका दीपिकापर १० व्याख्या ग्रन्थ प्रकाशित अप्रकाशित उपलब्ध हैं। इन टीकाओं में गोत्रर्द्धनमिश्र की न्यायवोधिनी, श्रीकृष्णधूर्जटी दीक्षितका सिद्धान्तचन्द्रोदय, चन्द्रजसिंहका पदकृत्य नीलकण्ठभट्ट की नीलकण्ठी तथा उनके आत्मज लक्ष्मीनृसिह की भास्करोदया अत्यन्त प्रसिद्ध तथा विद्वानों से प्रसंशित हैं।

तर्कसङ्ग्रह शब्द का अर्थ – ‘तर्कसङ्‌ग्रह’ इस नाम के श्रवणमात्र से “तर्काणां संग्रहः” यह अर्थ स्वभावतः किसी को भी सहज ज्ञान हो जाता है; पर टर्क क्या है ? एवं उनके सङ्ग्रह से क्या तात्पर्य है ? यह अवश्य जिज्ञासा होती है।

तर्क – न्याय विद्या था अनुमान के लिए तर्कशब्द का प्रयोग आरम्भ में मिलता है। यों तो भारतीय शास्त्रों एवं साहित्य में प्रयुक्त प्रत्येक शब्द अपना एक विशिष्ट इतिहास सँजोए हुए हैं। तर्क शब्दार्थ भी तर्क शब्द की धुरी पर अपनी उसी वेबसी भरी यात्रा को तय करके हमारे यहाँ पहुँचा है। उसी के अनुसन्धान से हमें पूरा का पूरा इतिहास एवं रहस्य ज्ञात हो जाता है।

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