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Vyavsayik Paryavaran (व्यवसायिक पर्यावरण)

215.00

Author Dr. Vijay Nath Dubey
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Hindi
Edition 2016
ISBN 978-93-81999-82-0
Pages 280
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0088
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Description

व्यवसायिक पर्यावरण (Vyavsayik Paryavaran) व्यवसाय और उसका वातावरण अथवा व्यवसाय का परिवेश कैसा है, इसे समझने के लिए विद्यार्थियों को व्यवसाय और उसके पर्यावरण (environment) को समझना आवश्यक है। ‘व्यावसायिक पर्यावरण’ नयी विधा के रूप में हमारे सामने वर्तमान में पाठ्यक्रम में दी गयी है। व्यावसायिक वातावरण से सामान्यतया यह बात समझी जाती है कि हम जो व्यवसाय अथवा कार्य कर रहे हैं, उसका वातावरण कैसा है अथवा हम कैसे वातावरण में कार्य कर रहे हैं। अतः नीचे व्यवसाय और पर्यावरण को अलग-अलग समझाया जा रहा है-

1. व्यवसार्य का अर्थ (Meaning of Business) – व्यवसाय का अर्थ है- किसी कार्य में लगे रहना। व्यवसाय दो प्रकार का हो सकता है; जैसे-आर्थिक व्यवसाय तथा अनार्थिक व्यवसाय। आर्थिक क्रियायें धन सम्बन्धी होती है; जैसे-व्यापार करना, उद्योग लगाना, बैंक खोलना, नौकरी करना, कृषि करना आदि-आदि। अनार्थिक व्यवसाय में समाज सेवा करना आदि बातें आती हैं। अनार्थिक व्यवसाय का सम्बन्ध धन सम्बन्धी क्रियाओं से नहीं होता है। जहाँ तक अर्थशास्त्र विषय का सम्बन्ध है, उसमें केवल आर्थिक कार्यों अथवा आर्थिक व्यवसाय को महत्त्व दिया जाता है अथवा आर्थिक क्रियाओं का ही उसमें अध्ययन किया जाता है। अतः व्यवसाय में उन्हीं मानवीय क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करती हों तथा उनमें उपयोगिता का गुण होने के साथ-साथ वे क्रियाएँ वैधानिक भी होती हैं, व्यवसाय में उत्पादन तथा वितरण का भी विशेष महत्व होता है।

2. पर्यावरण का अर्थ (Meaning of Environment) – पर्यावरण को यदि हम वातावरण कहें तो गलत नहीं होगा। वातावरण परिवेश पर निर्भर करता है, हमने जैसे व्यवसाय को आर्थिक एवं अनार्थिक दो भागों में देखा है उसी प्रकार से हम पर्यावरण को भी दो भागों में बाँट सकते हैं। प्रथम, सामाजिक पर्यावरण व द्वितीय, व्यावसायिक पर्यावरण सामाजिक पर्यावरण के अन्तर्गत खान-पान, रीति-रिवाज, भाषा, तिथि त्यौहार, सामाजिक संगठन, धार्मिक व सांस्कृतिक परिस्थितियाँ आदि बातें आती है।

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