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Hari Sankirtan (हरी संकीर्तन)

51.00

Author Bhole Sankar
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Sanskrit
Edition -
ISBN -
Pages 112
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0031
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Description

हरी संकीर्तन (Hari Sankirtan) कीर्तन द्वारा आप स्वयं को शरीर तथा बाह्य वातावरण से दूर ले जा सकते हैं। इसके अभ्यास से मानसिक जड़ता नहीं संवेदना घनीभूत होती है। सामान्य तौर पर किसी शब्द को दोहराने से मन की कमजोरी जाहिर होती है पर जब आप कीर्तन करते है तब आपके मन से संघर्ष नहीं होता। इस रहस्य को भारत के लोग अच्छी तरह जानते हैं।

जब आप कीर्तन में बैठे हों, तो धीरे-धीरे अपने भटकते मन को बार-बार मंत्र की ओर वापस लाएँ। कृष्ण दास कहते हैं, समय के साथ नियमित, ईमानदार अभ्यास के साथ, आप देख सकते हैं कि विचार आपको इतनी गहराई से नहीं पकड़ते हैं। भावनाएँ आपको पूरी तरह ख़त्म नहीं करतीं। यह आपके मानस को बदल देता है।

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